जाफ़र अली वाक्य
उच्चारण: [ jaafer ali ]
उदाहरण वाक्य
- यही मौलिक पाण्डुलिपि उनके पोते फ़ौलाद खां को मिली और फ़ौलाद खां के मित्र मीर जाफ़र अली ने 1653 में इसकी एक प्रतिलिपि तैयार की।
- में मुबारकशाह खिलजी के सेनापति जाफ़र अली ने बैशाखी की अमावश्या के दिन कोताना (बडौत के निकट) यमुना नदी में कुछ हिन्दू ललनाओं को स्नान करते देखा तो उसकी कामवासना भड़क उठी.
- फ़ैज़ उन्हें इन्कलाब का मुगन्नी (गायक) करार देते हैं तो उनकी रूमानी शायरी से प्रभावित आलोचक जाफ़र अली ख़ान 'असर' लखनवी उनके बारे में कहते हैं कि, ”उर्दू में एक कीट्स पैदा हुआ था लेकिन इन्कलाबी भेड़िये उसे उठा ले गये.”
- उर्दू के प्रसिद्ध आलोचक मिर्जा जाफ़र अली खान असर ने करबला नाटक की भाषा संबन्धी दुर्बलताओं का जब संकेत किया तो प्रेमचंद ने उसे स्वीकार करते हुए निगम को लिखा था-“वाकेया ये है कि मैंने हिन्दी से ख़ुद तर्जुमा नहीं किया।
- उर्दू के प्रसिद्ध आलोचक मिर्जा जाफ़र अली खान असर ने करबला नाटक की भाषा संबन्धी दुर्बलताओं का जब संकेत किया तो प्रेमचंद ने उसे स्वीकार करते हुए निगम को लिखा था-” वाकेया ये है कि मैंने हिन्दी से ख़ुद तर्जुमा नहीं किया।
- फ़ैज़ उन्हें इन्कलाब का मुगन्नी (गायक) करार देते हैं तो उनकी रूमानी शायरी से प्रभावित आलोचक जाफ़र अली ख़ान ' असर ' लखनवी उनके बारे में कहते हैं कि, ” उर्दू में एक कीट्स पैदा हुआ था लेकिन इन्कलाबी भेड़िये उसे उठा ले गये. ”
- प्रवीण कुमार ने चार लोगों की हत्या की, रामजी और सुरेशजी चौहान ने बड़े भाई की पत्नी की चार बच्चों समेत कुल्हाड़ी से काट कर हत्या की, गुरमीत ने तीन सगे भाईयों की, उनकी पत्नियों बच्चों समेत तेरह लोगों को तलवार से काट डाला, जाफ़र अली ने अपनी पत्नी व पाँच बच्चियों को मार डाला।
- अगर एक तरफ़ सज्जाद ज़हीर, फै़ज़ अहमद फ़ैज़ और सरदार जाफ़री उनके मद्दाह थे तो दूसरी तरफ़ क्लासिकी शायरी के नुमाइन्दा शायर नवाब जाफ़र अली खाँ, असर लखनवी और सालिक लखनवी उन की शायरी के मोतरिफ़ थे, जिस का बुनियादी सबब यह था कि उन्होंने पूरे क्लासिकी रचाव और ज़बान के रख-रखाव के साथ शायरी की।
- प्रवीण कुमार ने चार लोगों की हत्या की, रामजी और सुरेशजी चौहान ने बड़े भाई की पत्नी की चार बच्चों समेत कुल्हाड़ी से काट कर हत्या की, गुरमीत ने तीन सगे भाईयों की, उनकी पत्नियों बच्चों समेत तेरह लोगों को तलवार से काट डाला, जाफ़र अली ने अपनी पत्नी व पाँच बच्चियों को मार डाला।
- अगर एक तरफ़ सज्जाद ज़हीर, फै़ज़ अहमद फ़ैज़ और सरदार जाफ़री उनके मद्दाह थे तो दूसरी तरफ़ क्लासिकी शायरी के नुमाइन्दा शायर नवाब जाफ़र अली खाँ, असर लखनवी और सालिक लखनवी उन की शायरी के मोतरिफ़ थे, जिस का बुनियादी सबब यह था कि उन्होंने पूरे क्लासिकी रचाव और ज़बान के रख-रखाव के साथ शायरी की।
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